देश में कई गरीब और अनाथ बच्चे ऐसे हैं जिनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं होता। ऐसे बच्चों की शिक्षा और पालन-पोषण की जिम्मेदारी सरकार ने अपने हाथ में ली है। राजस्थान सरकार की पालनहार योजना (Palanhar Yojana) इन्हीं बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए चलाई जा रही है। इस योजना के तहत राज्य के अनाथ, विधवा, तलाकशुदा या निराश्रित बच्चों को हर महीने आर्थिक सहायता दी जाती है ताकि उन्हें अच्छे माहौल में शिक्षा और पालन-पोषण मिल सके।
यह योजना समाज में कमजोर तबके के बच्चों के लिए आशा की किरण साबित हुई है। जो बच्चे किसी कारणवश अपने माता-पिता के संरक्षण में नहीं हैं, उनकी जिम्मेदारी अब कोई नज़दीकी रिश्तेदार या अभिभावक पालक के रूप में उठा सकता है। सरकार ऐसे पालक को मासिक वित्तीय सहायता प्रदान करती है ताकि बच्चे की जरूरतें पूरी हो सकें। इससे न केवल बच्चे की स्थिति सुधरती है बल्कि परिवार और समाज में सुरक्षा की भावना भी बढ़ती है।
Palanhar Yojana 2025
पालनहार योजना राजस्थान सरकार की एक सामाजिक सुरक्षा योजना है, जो 2005 में शुरू की गई थी। इस योजना का उद्देश्य ऐसे बच्चों को संरक्षण देना है जिनके माता-पिता का देहांत हो चुका है या वे किसी भी कारण उन्हें पालन-पोषण नहीं दे पा रहे हैं। इन बच्चों की शिक्षा, भोजन, स्वास्थ्य और जीवनयापन के खर्च के लिए सरकार पालनहार यानी देखभाल करने वाले व्यक्ति को हर महीने आर्थिक सहायता प्रदान करती है।
सरकार इस योजना के तहत पालनहार को दो श्रेणियों में मदद देती है। 0 से 6 वर्ष तक के बच्चों के लिए ₹1500 प्रति माह दिए जाते हैं। वहीं 6 से 18 वर्ष की उम्र तक पहुँचने वाले बच्चों के लिए ₹2500 प्रति माह की सहायता दी जाती है। यह राशि सीधे पालनहार के बैंक खाते में भेजी जाती है ताकि बच्चे के हित में सही उपयोग हो सके।
कौन बन सकता है पालनहार?
पालनहार कोई भी ऐसा व्यक्ति हो सकता है जो संबंधित बच्चे से रक्त संबंध या पारिवारिक संबंध रखता हो और उसकी देखभाल की जिम्मेदारी ले सके। वह व्यक्ति बच्चे को अपने घर में रखता है, उसकी शिक्षा और पालन-पोषण का ध्यान रखता है। इसके लिए पालनहार की आर्थिक स्थिति स्थिर होनी चाहिए ताकि बच्चे की जरूरतें पूरी की जा सकें।
इस योजना का लाभ उन्हीं बच्चों को दिया जाता है जो राजस्थान के स्थायी निवासी हों। साथ ही उनके माता-पिता या तो मृत्यु को प्राप्त हो चुके हों या फिर उन्हें बच्चों की देखभाल करने में असमर्थ घोषित किया गया हो।
पालनहार योजना के लाभ
इस योजना से अनाथ और बेसहारा बच्चों को सम्मानपूर्वक जीवन जीने का मौका मिला है। सरकारी सहायता से अब उन्हें स्कूलों में दाखिला दिलाया जा रहा है, कपड़े, किताबें और अन्य जरूरी चीजें खरीदी जा सकती हैं।
इस पहल से न केवल बच्चे आत्मनिर्भर बनते हैं बल्कि समाज में भी मानवीय संवेदनाओं को बढ़ावा मिलता है। कई गाँवों और जिलों में इस योजना से बच्चों का जीवन पूरी तरह बदल चुका है। गरीब परिवारों के लिए यह योजना सामाजिक सुरक्षा की तरह काम कर रही है।
पालनहार योजना के लिए आवश्यक पात्रता
इस योजना का लाभ लेने के लिए कुछ पात्रता शर्तें निर्धारित की गई हैं।
- बच्चा राजस्थान का निवासी होना चाहिए।
- माता-पिता में से एक या दोनों का देहांत हो गया हो।
- अगर तलाकशुदा या निराश्रित महिला का बच्चा है तो भी वह पात्र है।
- अधिकतम दो बच्चों तक सहायता दी जाती है।
इन सभी पात्रताओं के साथ पालनहार का नाम बच्चे के आवेदन में दर्ज होना जरूरी है क्योंकि सहायता राशि उसी के खाते में आती है।
पालनहार योजना के लिए आवेदन प्रक्रिया
पालनहार योजना के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया अब काफी आसान हो चुकी है। नीचे बताए गए चरणों के अनुसार आवेदन किया जा सकता है:
- आवेदक नजदीकी ई-मित्र या जन सेवा केंद्र पर जाए।
- वहां पालनहार योजना के आवेदन फॉर्म भरें।
- आवश्यक दस्तावेज जैसे बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र (माता-पिता का), आधार कार्ड, जाति प्रमाण पत्र और बैंक खाता विवरण जमा करें।
- अधिकारी द्वारा विवरण जांचने के बाद आवेदन स्वीकृत होने पर लाभ शुरू हो जाता है।
- मंजूरी के बाद हर महीने की राशि सीधे बैंक खाते में ट्रांसफर होती है।
योजना से अब तक का प्रभाव
राजस्थान सरकार ने इस योजना के तहत लाखों बच्चों को मदद पहुंचाई है। ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में यह योजना समान रूप से सक्रिय है। सरकार हर वर्ष इस योजना के लिए अलग-अलग जिलों में नए लाभार्थियों को जोड़ने का लक्ष्य निर्धारित करती है।
योजना के तहत न सिर्फ बच्चों को राहत मिली है बल्कि कई परिवार भी स्थिर हुए हैं जिन्होंने बच्चों को अपनाया है। इससे राज्य में बाल अपराध, बाल श्रम और शिक्षा छोड़ने की समस्या में भी कमी आई है।
निष्कर्ष
पालनहार योजना राजस्थान सरकार की ऐसी पहल है जो अनाथ और बेसहारा बच्चों के जीवन में नई उम्मीद जगाती है। हर महीने मिलने वाली सहायता से बच्चों को सशक्त और शिक्षित बनाया जा रहा है। यह योजना न केवल बच्चों को सहारा दे रही है बल्कि समाज में जिम्मेदारी और मानवता का संदेश भी फैला रही है।