EPFO ने 2025 में अपने सदस्यों के लिए बड़े बदलाव किए हैं। अब सदस्य अपने पीएफ खाते से जरूरत पड़ने पर 100 फीसदी राशि निकाल सकते हैं। यह फैसला श्रम मंत्री मनसुख मांडविया की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय न्यासी बोर्ड (CBT) की बैठक में लिया गया। इसका मकसद लोगों की जिंदगी को आसान बनाना है। इस बदलाव से करोड़ों कर्मचारियों को आर्थिक आजादी मिलेगी। अब पढ़ाई, शादी, बीमारी या घर जैसी जरूरतों के लिए पैसा निकालना पहले से आसान हो गया है। इसके अलावा, न्यूनतम सेवा अवधि को घटाकर सिर्फ 12 महीने कर दिया गया है। इससे नए कर्मचारियों को भी जल्दी लाभ मिलेगा।
नए नियमों का ओवरव्यू
विशेषता | विवरण |
योजना का नाम | EPFO नए नियम 2025 |
लाभार्थी | EPFO के सभी सदस्य (लगभग 7 करोड़) |
मुख्य बदलाव | 100% तक की आंशिक निकासी की अनुमति |
निकासी की श्रेणियां | आवश्यक जरूरतें, आवास जरूरतें, विशेष परिस्थितियां |
न्यूनतम सेवा अवधि | 12 महीने |
न्यूनतम बैलेंस | खाते में कुल योगदान का 25% |
ब्याज दर | 8.25% (चक्रवृद्धि दर से) |
निकासी प्रक्रिया | पूरी तरह स्वचालित और ऑनलाइन |
मुख्य बदलाव और लाभ
EPFO ने आंशिक निकासी के नियमों को पूरी तरह सरल और लचीला बना दिया है। पहले इसके लिए 13 अलग-अलग जटिल नियम थे। अब इन्हें तीन मुख्य श्रेणियों में समेट दिया गया है। पहली श्रेणी में बीमारी, शिक्षा और विवाह जैसी जरूरतें शामिल हैं। दूसरी में घर खरीदने या उससे जुड़े खर्चे आते हैं। तीसरी में प्राकृतिक आपदा या महामारी जैसी विशेष परिस्थितियां शामिल हैं। इससे अब सदस्यों को किसी विशेष परिस्थिति में निकासी के लिए कोई कारण बताने की जरूरत नहीं होगी। यह बड़ी राहत है।
इसके अलावा, शिक्षा और विवाह के लिए निकासी की सीमा में भी बड़ी राहत दी गई है। पहले इनके लिए केवल तीन बार निकासी की अनुमति थी। अब शिक्षा के लिए 10 बार और विवाह के लिए 5 बार तक निकासी की जा सकती है। इससे छात्रों और युवाओं को बड़ा फायदा होगा। निकासी की प्रक्रिया भी पूरी तरह स्वचालित होगी। अब सदस्यों को कोई दस्तावेज जमा करने की आवश्यकता नहीं होगी। दावे तेजी से ऑनलाइन निपटाए जाएंगे। यह बहुत बड़ी सुविधा है।
निकासी और बैलेंस के नियम
नए नियमों के तहत, सदस्य अपने खाते में जमा राशि का 100 फीसदी तक निकाल सकते हैं। लेकिन इसके साथ एक शर्त भी लगाई गई है। सदस्य को अपने खाते में कुल योगदान का कम से कम 25 फीसदी राशि ‘न्यूनतम बैलेंस’ के रूप में बनाए रखना होगा। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि सदस्य उच्च ब्याज दर (वर्तमान में 8.25 फीसदी) और चक्रवृद्धि के लाभ का आनंद लेते हुए सेवानिवृत्ति के लिए पर्याप्त राशि संचित कर सकें। यह राशि लंबे समय तक निवेशित रहेगी और ब्याज के साथ बढ़ती रहेगी। यह एक समझदारी भरा कदम है।
इसके अलावा, अंतिम निपटान के लिए अवधि में भी बदलाव किया गया है। बेरोजगारी की स्थिति में पूरी राशि निकालने की अवधि को 2 महीने से बढ़ाकर 12 महीने कर दिया गया है। इसी तरह, सेवानिवृत्ति की स्थिति में पेंशन की अंतिम निकासी की अवधि को 2 महीने से बढ़ाकर 36 महीने कर दिया गया है। इसका मकसद लंबे समय तक आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है। इन बदलावों से सदस्यों को लंबे समय तक आर्थिक लाभ मिलेगा।
डिजिटल और अन्य सुविधाएं
EPFO ने अपनी डिजिटल सुविधाओं को और बेहतर बनाया है। अब निकासी के लिए कोई दस्तावेज जमा करने की जरूरत नहीं होगी। दावे पूरी तरह स्वचालित तरीके से निपटाए जाएंगे। इससे प्रक्रिया तेज और पारदर्शी होगी। साथ ही, ‘विश्वास योजना’ के तहत पीएफ जमा में देरी पर लगने वाले जुर्माने की दर घटाकर 1 फीसदी प्रति माह कर दी गई है।
यह छोटे नियोक्ताओं के लिए बहुत बड़ी राहत है। इसके अलावा, ईपीएस-95 पेंशनभोगियों के लिए डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट (DLC) की सुविधा शुरू की गई है। अब वे घर बैठे इस सर्टिफिकेट को जमा कर सकते हैं। यह सुविधा इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (IPPB) के साथ किए गए समझौते के तहत उपलब्ध है। यह बहुत बड़ी सुविधा है।
निष्कर्ष
EPFO के नए नियम 2025 सच हैं। यह जानकारी कई प्रतिष्ठित अखबारों और खबर वेबसाइटों जैसे जागरण, एनडीटीवी, लाइव हिंदुस्तान और आजतक द्वारा सत्यापित की गई है। यह फैसला श्रम मंत्री मनसुख मांडविया की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय न्यासी बोर्ड की बैठक में लिया गया था। इसका उद्देश्य कर्मचारियों को आर्थिक आजादी देना और उनकी जिंदगी को आसान बनाना है। नए नियमों के तहत सदस्य अब अपनी जरूरत के अनुसार अपने पीएफ खाते से अधिकतम राशि निकाल सकते हैं। हालांकि, खाते में 25 फीसदी राशि न्यूनतम बैलेंस के रूप में बनाए रखनी होगी। यह बदलाव लाखों कर्मचारियों के लिए बहुत फायदेमंद है।