शिक्षा क्षेत्र में बदलाव लगातार किए जा रहे हैं ताकि शिक्षकों की योग्यता और प्रशिक्षण को बेहतर बनाया जा सके। हाल ही में सरकार ने बीएड (Bachelor of Education) और डीएलएड (Diploma in Elementary Education) करने वाले विद्यार्थियों के लिए नया नियम जारी किया है। यह नियम उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो प्राथमिक या माध्यमिक स्तर पर शिक्षक बनने की तैयारी कर रहे हैं।
इस नए नियम का उद्देश्य शिक्षक प्रशिक्षण की गुणवत्ता को सुधारना और भर्ती प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाना है। पहले बीएड और डीएलएड दोनों को अलग-अलग स्तरों पर मान्यता दी जाती थी, लेकिन अब सरकार ने इन दोनों पाठ्यक्रमों के लिए नई शर्तें और पात्रता नियम तय किए हैं। इससे यह स्पष्ट होगा कि किस स्तर की कक्षा में कौन शिक्षक बन पाएगा।
B.Ed D.El.Ed New Rule
बीएड एक स्नातकोत्तर स्तर का पेशेवर कोर्स है जो माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक बनने के लिए किया जाता है। इसमें शिक्षण विधियों, पाठ योजना और बच्चे की मनोविज्ञान से संबंधित जानकारी दी जाती है। बीएड करने के लिए सामान्यतः स्नातक होना आवश्यक है।
डीएलएड एक डिप्लोमा कोर्स है जो प्राथमिक स्तर यानी कक्षा 1 से 8 तक के शिक्षक बनने के लिए किया जाता है। इसे पहले डी.एड के नाम से जाना जाता था। इस कोर्स में बच्चे की प्रारंभिक शिक्षा, व्यवहार और शिक्षण कला पर ध्यान दिया जाता है। इसका उद्देश्य प्रशिक्षित शिक्षकों को प्राथमिक स्कूलों में नियुक्त करना होता है।
नया नियम क्या कहता है
नए नियम के अनुसार बीएड और डीएलएड की मान्यता और नियुक्ति में अब स्पष्ट अंतर किया गया है। प्राथमिक स्कूलों में अब बीएड धारक अभ्यर्थियों को मौका नहीं मिलेगा, वहाँ केवल डीएलएड या समान कोर्स किए हुए उम्मीदवार ही आवेदन कर सकेंगे। वहीं, बीएड धारकों को केवल माध्यमिक स्तर तक सीमित रखा गया है।
सरकार ने यह निर्णय इसलिए लिया है ताकि छोटे बच्चों की शिक्षा उन लोगों द्वारा कराई जाए जिन्हें विशेष रूप से प्राथमिक स्तर की शिक्षण प्रक्रिया में प्रशिक्षण मिला है। डीएलएड कोर्स में यह विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है कि बच्चे की नींव कैसे मजबूत की जाए, इसलिए उन्हें प्राथमिक शिक्षा के लिए अधिक उपयुक्त माना गया है।
इसके अलावा, बीएड और डीएलएड दोनों पाठ्यक्रमों के लिए न्यूनतम अंकों और इंटर्नशिप नियमों में भी संशोधन किया गया है। अब प्रशिक्षण के दौरान स्कूलों में नियमित उपस्थिति और प्रायोगिक शिक्षण जरूरी कर दिया गया है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि प्रशिक्षण केवल सैद्धांतिक न रहकर व्यवहारिक भी हो।
सरकार की योजना और उद्देश्य
सरकार का उद्देश्य शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को सरल और गुणवत्तापूर्ण बनाना है। नए नियम के तहत शिक्षक अभ्यर्थियों की योग्यता को विद्यालय स्तर के अनुरूप रखा गया है। राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (NCTE) ने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि वे इस नियम को आगामी सत्र से लागू करें।
सरकार ने यह भी योजना बनाई है कि बीएड और डीएलएड के छात्रों को एक समान ऑनलाइन प्रशिक्षण मॉड्यूल उपलब्ध कराया जाएगा ताकि सभी को समान स्तर की शिक्षण जानकारी मिल सके। इसके साथ ही, डिजिटल शिक्षण विधाओं और स्मार्ट क्लास ट्रेनिंग को भी कोर्स में शामिल किया जा रहा है।
योजना के अंतर्गत शिक्षक प्रशिक्षण कॉलेजों में आधुनिक संसाधन जैसे ई-लर्निंग लैब, ऑडियो-विज़ुअल शिक्षण सामग्री और इंटरैक्टिव क्लासरूम का उपयोग अनिवार्य किया गया है। इससे भविष्य के शिक्षक तकनीकी रूप से सक्षम होंगे और नई शिक्षा नीति 2020 के तहत बच्चों को आधुनिक तरीके से पढ़ा सकेंगे।
आवेदन और पात्रता में बदलाव
अब प्राथमिक शिक्षक पद के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों को डीएलएड या समान कोर्स में उत्तीर्ण होना जरूरी होगा। बीएड वाले उम्मीदवार केवल उच्च प्राथमिक और माध्यमिक स्तर के लिए पात्र होंगे। यह प्रावधान शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) में भी लागू किया जाएगा।
इसके साथ ही आवेदन प्रक्रिया में कुछ बदलाव भी किए गए हैं। अब प्रशिक्षित अभ्यर्थियों को अपने प्रशिक्षण संस्थान से प्रैक्टिकल रिपोर्ट और उपस्थिति प्रमाणपत्र अनिवार्य रूप से देना होगा। पात्रता मूल्यांकन में इन्हें अतिरिक्त अंक भी मिलेंगे ताकि मेहनती और नियमित प्रशिक्षुओं को सम्मान मिले।
शिक्षकों और विद्यार्थियों पर असर
इस नियम का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि प्राथमिक स्तर पर शिक्षा देने वाले शिक्षक बच्चों की जरूरतों को बेहतर समझ सकेंगे। छोटे छात्रों के लिए डीएलएड प्रशिक्षित शिक्षक अधिक संवेदनशील और योग्य होंगे। वहीं बीएड धारक शिक्षक अपने विषय या क्षेत्र में गहराई से पढ़ाने में अधिक सक्षम होंगे।
नई व्यवस्था से शिक्षा प्रणाली में व्यवस्थित सुधार देखने को मिलेगा। शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता बढ़ेगी और प्रशिक्षुओं को व्यवहारिक शिक्षण अनुभव मिलेगा। इससे स्कूल स्तर पर पढ़ाई का स्तर और विश्वसनीयता दोनों बढ़ेंगे।
निष्कर्ष
बीएड और डीएलएड करने वालों के लिए जारी यह नया नियम शिक्षा के भविष्य की दिशा तय करेगा। इससे शिक्षक बनने की प्रक्रिया पारदर्शी होगी और बच्चों को बेहतर प्रशिक्षित शिक्षक मिलेंगे। सरकार का यह कदम भारतीय शिक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने की दिशा में एक सकारात्मक बदलाव माना जा सकता है।