B.Ed & D.El.Ed New Rule 2025: बीएड और डीएलएड करने वालों के लिए बड़ा अपडेट

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शिक्षा के क्षेत्र में लगातार सुधार के प्रयासों के तहत अब सरकार ने बीएड और डीएलएड करने वाले विद्यार्थियों के लिए नया नियम लागू किया है। यह फैसला भविष्य में शिक्षक के रूप में करियर बनाने वाले लाखों विद्यार्थियों को प्रभावित करेगा।

बीएड और डीएलएड, दोनों कोर्स ऐसे हैं जो अध्यापन के क्षेत्र में प्रवेश का रास्ता खोलते हैं। लेकिन लंबे समय से इन कोर्सों को लेकर यह विवाद रहा कि प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाने के लिए कौन योग्य है। अब नई नीति इसी विषय पर स्पष्ट दिशा दिखाती है जिससे आगे भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और समान अवसर मिल सके।

सरकार का उद्देश्य इस बदलाव से शिक्षक भर्ती परीक्षा की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना और शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर करना है। इस नियम को लागू करते समय यह भी ध्यान रखा गया है कि पहले से अध्ययनरत या पास उम्मीदवारों को किसी प्रकार की असुविधा न हो।

B.Ed & D.El.Ed New Rule

नए नियम के अनुसार प्राथमिक कक्षाओं में शिक्षण कार्य के लिए अब केवल डीएलएड या डिप्लोमा इन एलीमेंटरी एजुकेशन करने वाले ही पात्र माने जाएंगे। बीएड डिग्रीधारी अब प्राथमिक स्तर पर अध्यापन के लिए पात्र नहीं होंगे।

माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में बीएड धारक उम्मीदवारों को प्राथमिकता मिलेगी। यानी अब बीएड केवल उच्च स्तर की शिक्षण नौकरियों के लिए मान्य डिग्री होगी। यह निर्णय राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के आधार पर लिया गया है।

इससे पहले कई राज्यों में बीएड करने वाले भी प्राथमिक शिक्षक भर्ती के लिए आवेदन कर सकते थे। लेकिन अब यह व्यवस्था समाप्त कर दी गई है जिससे डीएलएड कोर्स की प्रासंगिकता और स्पष्ट हो गई है।

नियम का उद्देश्य और प्रभाव

इस नए नियम का मुख्य उद्देश्य प्राथमिक स्तर की शिक्षा में गुणवत्ता बढ़ाना है। सरकार का मानना है कि डीएलएड कोर्स खासतौर से छोटे बच्चों को शिक्षण की विधियों पर आधारित होता है जबकि बीएड कोर्स उच्च कक्षाओं के लिए बनाया गया है। इसलिए दोनों की भूमिका अलग-अलग स्तरों पर तय की जानी चाहिए।

इस कदम से शिक्षक चयन में भ्रम की स्थिति खत्म होगी और डीएलएड धारकों को उचित अवसर मिलेगा। वहीं बीएड कर चुके उम्मीदवारों को अब माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षण पर ध्यान केंद्रित करना होगा।

नया नियम शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों पर भी असर डालेगा। डीएलएड कोर्स की मांग बढ़ेगी और बीएड संस्थानों को अपने पाठ्यक्रम में उन्नत शिक्षण विधियों को शामिल करना होगा। इससे शिक्षकों की गुणवत्ता में भी सुधार आने की उम्मीद है।

पात्रता और भर्ती प्रक्रिया में बदलाव

अब प्राथमिक शिक्षक भर्ती परीक्षा में केवल वही उम्मीदवार आवेदन कर पाएंगे जिन्होंने मान्यता प्राप्त संस्थान से डीएलएड या समकक्ष प्रशिक्षण प्राप्त किया हो। साथ ही उन्हें टीईटी, यानी शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी।

माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षकों के लिए बीएड जरूरी रहेगा। इसके अलावा एनसीटीई द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार शैक्षणिक योग्यता और प्रशिक्षण की शर्तें पूर्ववत लागू रहेंगी।

यह बदलाव नए सत्र से लागू किया जाएगा। पुराने उम्मीदवार जिनके आवेदन पहले से प्रक्रियाधीन हैं, उन्हें राहत देने के लिए विशेष प्रावधान भी बनाए जा रहे हैं ताकि उनके करियर पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े।

विद्यार्थियों और संस्थानों की प्रतिक्रिया

बीएड छात्रों में इस निर्णय को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएँ देखने को मिल रही हैं। कुछ छात्रों ने कहा कि यह कदम बीएड की उपयोगिता को सीमित करेगा, वहीं कई शैक्षणिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह शिक्षा गुणवत्ता सुधार की दिशा में बड़ा कदम है।

डीएलएड विद्यार्थियों ने इस बदलाव का स्वागत किया है क्योंकि अब उन्हें उनके प्रशिक्षण के अनुरूप अवसर मिलेंगे। संस्थान स्तर पर भी इस फैसले से कोर्स की संरचना और प्रशिक्षण पद्धति में सुधार की उम्मीद की जा रही है।

सरकार की दृष्टि और भविष्य की नीति

सरकार ने यह भी संकेत दिया है कि आगे चलकर शिक्षक प्रशिक्षण और भर्ती को एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ा जाएगा। इसके तहत सभी शिक्षक शिक्षा कार्यक्रमों की निगरानी और मान्यता ऑनलाइन प्रणाली के माध्यम से की जाएगी।

साथ ही, शिक्षकों के प्रशिक्षण के दौरान व्यवहारिक अनुभव और नई शिक्षण तकनीकों पर अधिक जोर दिया जाएगा ताकि भविष्य की शिक्षा प्रणाली अधिक आधुनिक और प्रभावी बन सके।

निष्कर्ष

नया बीएड और डीएलएड नियम शिक्षा क्षेत्र में एक आवश्यक सुधार माना जा रहा है। इससे प्राथमिक और उच्च शिक्षा के बीच प्रशिक्षण का स्पष्ट विभाजन हुआ है। अब विद्यार्थियों को अपने लक्ष्य के अनुसार सही कोर्स चुनने में आसानी होगी और शिक्षा की गुणवत्ता में भी सुधार आएगा।

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